सिरदर्द या दौरे हो सकते हैं ब्रेन ट्यूमर के संकेत
सहारनपुर: ब्रेन ट्यूमर यानी मस्तिष्क में होने वाला ट्यूमर एक जटिल स्वास्थ्य समस्या है, जो मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में असामान्य कोशिकाओं के बढ़ने से होता है। ये ट्यूमर मस्तिष्क के किसी भी हिस्से में विकसित हो सकते हैं और यह सौम्य (Benign) या घातक (Malignant) हो सकते हैं। हालांकि ब्रेन ट्यूमर एक दुर्लभ प्रकार का कैंसर माना जाता है, लेकिन इसका असर मरीज और उसके परिवार की ज़िंदगी पर गहरा पड़ता है।
ब्रेन ट्यूमर के सटीक कारण अब तक पूरी तरह स्पष्ट नहीं हैं, लेकिन कुछ जोखिम कारक इससे जुड़े हो सकते हैं। इनमें बढ़ती उम्र, विकिरण (Radiation) के संपर्क में आना, पारिवारिक इतिहास में ब्रेन ट्यूमर का होना, और न्यूरोफाइब्रोमैटोसिस जैसी कुछ खास चिकित्सीय स्थितियां शामिल हैं।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत के न्यूरोसर्जरी विभाग के कंसल्टेंट डॉ अंशुल गोयल ने बताया कि “ब्रेन ट्यूमर के लक्षण उसकी जगह, प्रकार और आकार पर निर्भर करते हैं। आमतौर पर ये लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं और समय के साथ गंभीर हो सकते हैं। प्रमुख लक्षणों में सिरदर्द, दौरे (Seizures), धुंधला दिखना, बोलने में कठिनाई, शरीर के किसी हिस्से में कमजोरी या लकवा, और व्यक्तित्व में बदलाव जैसे संकेत शामिल हैं। कुछ मामलों में तब तक कोई लक्षण नहीं दिखता जब तक ट्यूमर बड़ा नहीं हो जाता और आसपास की नसों पर दबाव नहीं डालता। यदि किसी व्यक्ति में ब्रेन ट्यूमर के लक्षण दिखते हैं, तो डॉक्टर उसे न्यूरोसर्जन के पास भेजते हैं। निदान की प्रक्रिया में शारीरिक जांच, मेडिकल हिस्ट्री और इमेजिंग जांच जैसे एमआरआई (MRI) या सीटी स्कैन (CT Scan) शामिल होती है, जो ट्यूमर की स्थिति और आकार का पता लगाने में मदद करते हैं।“
ब्रेन ट्यूमर का इलाज उसके प्रकार, आकार और स्थिति के अनुसार तय किया जाता है। कुछ मामलों में ट्यूमर को निकालने के लिए सर्जरी की जाती है, जिसमें माइक्रोस्कोपिक, एंडोस्कोपिक या नेविगेशन गाइडेड ट्यूमर एक्सिशन तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, कई मामलों में रेडिएशन थेरेपी और कीमोथेरेपी द्वारा ट्यूमर के विकास को धीमा करने की कोशिश की जाती है। गंभीर मामलों में ये सभी उपचार एक साथ दिए जा सकते हैं।
डॉ अंशुल ने आगे बताया कि “ब्रेन ट्यूमर से जुड़े कुछ जोखिम ऐसे हैं जिनके प्रति मरीज और उनके परिजनों को सतर्क रहना चाहिए। सर्जरी के दौरान संक्रमण, रक्तस्राव और मस्तिष्क में सूजन की संभावना होती है। कभी-कभी पूरा ट्यूमर निकालना संभव नहीं होता, ऐसे में आगे भी इलाज की ज़रूरत पड़ सकती है। रेडिएशन और कीमोथेरेपी के साइड इफेक्ट्स में थकान, उल्टी और बालों का झड़ना शामिल हो सकता है।“
ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर बीमारी के लिए समय पर पहचान और सही इलाज अत्यंत आवश्यक है। यदि किसी को उपरोक्त लक्षण महसूस हों तो तुरंत विशेषज्ञ से परामर्श लेना चाहिए। सही समय पर इलाज शुरू कर देने से मरीज की रिकवरी की संभावना काफी बढ़ जाती है। इसके साथ ही, संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और हानिकारक रसायनों से दूरी जैसे स्वस्थ जीवनशैली के उपाय अपनाकर ब्रेन ट्यूमर के खतरे को कम किया जा सकता है।









